खतरा चारों दिशाओं से
|काश्मीर और केरल में पंद्रह अगस्त को पाकिस्तान का झण्डा फ़हराया जाना , ईद की नमाज के बाद काश्मीर में आईएसआईएस का झण्डा लहरना , पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी सरकार के एक सांसद का आतंकियों से सम्बन्ध निकलना ,इंडियन मुज्जाहिद्दीन और आईएसआई का पश्चिम यूपी में पैर फैलाना ,मेरठ से पाकिस्तानी जासूस का पकड़ा जाना , सहारनपुर से एक आतंकी का पकड़ा जाना ,मेरठ में नकली नोटों का एक राजनीतिक सरंक्षण में नेक्सस का खुलासा , कुछ दिनों पहले ही बिहार के मुंगेर जिले से बंदूकों और पिस्तौलों की भारी खेप का मेरठ और मुजफ्फरनगर का पकड़ा जाना , ये सब घटनायें उन्ही सब क्षेत्रों में हो रहीं हैं जहाँ की प्रादेशिक सरकारें अल्पसंख्यक तुष्टिकरण और पुष्टिकरण को सरकारी उपक्रम बनाये हुई हैं । प्रश्न यही है कि क्या इन सभी प्रादेशिक राज्यसरकारों को कोई विदेशी भारतविरोधी संगठन मार्गदर्शन दे रहा है या ये स्वयं ही देश के सांप्रदायिक सोहार्द्य को एक पक्षीय होकर अल्पसंख्यक संप्रदाय के सुपुर्द करना चाह रहीं हैं । सीमा सुरक्षा जैसे संवेदनशील ज्वलंत मुद्दे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बहस के केंद्र बनाये जाने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा पाकिस्तान और चीन को उत्तेजित करने वाले स्लोगनों और भारतीय मीडिया एंकरों के बेहूदे उत्तेजक बयानों को पाकिस्तान और चीन के मीडिया एंकरों के साथ साझा करने के पीछे कोई अंतर्राष्ट्रीय भारत विरोधी साजिश तो नही है ?और इन सबमे 16 मई के बाद से ही इतनी तेजी क्यों आयी है? तथाकथित सेकुलर ये प्रादेशिक राज्यसरकारें मोदी विरोध की आड़ में कहीं किसी अंतर्राष्ट्रीय भारत विरोधी संगठन के किसी एजेंडे को तो अमल में नही ला रहीं हैं ?