प्रौद्योगिकी युग :अविचलित मोदी से देश के युवाओं को बहुत उम्मीद !
|सोशल मीडिया : किसी भी वैश्विक नेता पर भारी पीएम मोदी !
New Delhi: नैतिकतावादी मानतें हैं कि किसी व्यक्ति की छवि उसके शिष्टचार से ही बनती है ! आज अमेरिका की हालिया यात्रा से यह बात पुष्ट होती है कि 21वीं सदी के नेता का निर्माण सोशल मीडिया भी कर सकता है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जितनी सटीक बैठती है उतनी शायद ही किसी अन्य वैश्विक नेता पर। प्रधानमंत्री टाउन हाल में फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग और टेस्ला के संयंत्र के दौरे में एलन मस्क समेत सूचना प्रौद्योगिकी युग के अग्रणी लोगों के साथ भी एकदम घुलमिल गए। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट दोनों के मुख्य कार्याधिकारी भारतीय हैं। इस बात ने भी इसमें उनकी काफी मदद की ।
मोदी की शैली : घनिष्ठता दिखाते मिलना , सहजता से तस्वीरें खिंचवाना !
मोदी की शैली अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों से एकदम अलग है। वह आपसी मुलाकात में बहुत घनिष्ठïता दिखाते हैं और खूब सहजता से तस्वीरें खिंचवाते हैं। वह इस बात को लेकर भी एकदम सजग हैं कि प्रवासी भारतीयों को दिए उनके संदेश और अमेरिकी मुख्य कार्याधिकारियों द्वारा उनके भव्य स्वागत का देश में क्या संदेश जाएगा। फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग के साथ उनकी टाउनहाल वाली बैठक का समय संशोधित किया गया ताकि भारत में लोग उसे देख सकें। मुलाकात भारतीय समय के मुताबिक आधी रात को हुई। हाल के वर्षों में किसी अन्य भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी विदेश यात्राओं का इस कदर लाभ नहीं उठाया, न ही देश में अपनी ऐसी छवि बनाई है। न्यू यॉर्क में 30 बड़े अधिकारियों के साथ मुलाकात समेत उनकी इस यात्रा की योजना शानदार ढंग से बनी थी। बैठक में एक सत्र रुपर्ट मर्डोक तथा अन्य मीडिया अधिकारियों के साथ भी था।
वादों के तारे जमीन पर उतरे तो…!
गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट ने डिजिटल खाई पाटने के भारत के प्रयासों का समर्थन किया है। अगर वादे का आधा भी फलीभूत होता है तो ये संस्थान उस लक्ष्य को हासिल करने में बहुत मददगार साबित होने वाले हैं। भारत सरकार को स्पष्टï नीतिगत दिशानिर्देशों के साथ इस काम में लगे रहना होगा। बढ़ी हुई उत्पादकता, कारोबारी अवसर और देश के युवाओं की शिक्षा के रूप में इसकी पूर्ण उपादेयता सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि देश के ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की जाए।
पुराना रिकॉर्ड तो यही सुझाता है कि विदेशों में की गई सार्वजनिक घोषणाओं और जमीन पर होने वाली कठिनाइयों में बहुत अंतर है। न्यू यॉर्क में विभिन्न अधिकारियों के साथ मोदी की बैठक में कुछ लोगों ने तीखे प्रश्न भी किए लेकिन अविचलित मोदी ने बताया कि कारोबारी सुगमता के मामले में भारत की रैंकिंग उनके कार्यकाल में सुधरी है। हकीकत में यह 140वें से घटकर 142वीं हो गई है। यह मामूली चूक लग सकती है लेकिन इस सरकार ने हाल ही में एक ऐसा मसौदा नीति पत्र जारी किया था जिसमें सुझाव दिया गया था कि देश के नागरिक अपने इलेक्ट्रॉनिक संवाद का 90 दिन का रिकॉर्ड रखें। बाद में जनता के शोरगुल के बाद इसे वापस लेना पड़ा। स्पष्ट है कि सार्वजनिक नीति में सुगमता और निरंतरता आवश्यक है।
फेसबुक लाइक बटोरने से आगे बढ़ें मोदी !
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के भीतर प्रौद्योगिकी को लेकर जो जुनून था उसकी वजह से ही देश में सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार इतनी तेजी से पनपा। मोदी की तरह सन 1980 के दशक के मध्य में अमेरिका में राजीव गांधी का भी भव्य स्वागत हुआ करता था। परंतु भारतीय प्रशासन और भारत दोनों में मोटे तौर पर कोई बदलाव नहीं आया। मोदी को तत्काल फेसबुक लाइक बटोरने से आगे बढ़ जाना चाहिए जिनमें पिछले सप्ताहांत के दौरान एक लाख से अधिक का इजाफा हुआ। उन्हें तत्काल देश को छोटे कारोबारियों, विनिर्माताओं और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बहुराष्टरीय कंपनियों के कारोबार के अनुकूल बनाने संबंधी चुनौतियों से भिड़ जाना चाहिए।
Vaidambh Media