भाजपा नेताओं के अतिवादी बयानों-हरकतों से केंद्र सरकार कटघरेे में !
|मोहन भागवत बनाम असदुद्दीन ओवैसी !
New Delhi : अपने राजनीतिक लाभ के लिए राजनेता बिना विचारे भावनाएं भड़काने वाले जुमले उछाल तो देते हैं, पर जल्दी ही उनका दुरुपयोग होने लगता है तो सामाजिक समरसता बिगड़नी शुरू हो जाती है। तब प्रशासन को भी अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। भारत माता की जय बोलने को लेकर जिस तरह सियासी सरगरमी शुरू हुई और इस आधार पर कौमों की देशभक्ति परखने का प्रयास किया जाने लगा, उसका असर समाज में दिखने लगा है। दिल्ली के बेगमपुर इलाके में कुछ अल्पसंख्यक युवाओं को पीटा जाना इसका ताजा उदाहरण है। बताया जाता है कि कुछ लोगों ने मदरसे में पढ़ने वाले तीन युवाओं को भारत माता की जय या फिर जय माता दी बोलने को कहा। जब उन्होंने ऐसा बोलने से इनकार किया तो उन्हें मारा-पीटा गया। उनमें से एक युवक की बांह की हड्डी टूट गई और उसे अस्पताल में भरती कराना पड़ा। पुलिस मामले की जांच कर रही है। ऐसा ही माहौल गोमांस खाने के विरोध में बन गया था, जिसके चलते भीड़ ने दादरी में अखलाक नामक व्यक्ति को गोमांस रखने के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला था। दरअसल, लोगों के भावनात्मक दोहन का प्रयास एकतरफा नहीं है। कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बयान में कहा कि युवाओं में भारत माता की जय बोलने की आदत डालनी चाहिए। इस पर एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी ने एलान किया कि ऐसा बोलने का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है और अगर कोई उनकी गरदन पर चाकू भी रख दे तो वे यह नारा नहीं लगाएंगे। बस, इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई। कुछ लोग इस आधार पर मुसलमानों की निष्ठा परखने लगे तो कुछ ने इसे उन पर अत्याचार साबित करना शुरू कर दिया।
देशभक्ति की कसौटी ?
शायद राजनेता इस बात पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझते कि उनके आचरण और बयानों का नीचे के कार्यकर्ताओं पर गहरा असर पड़ता है। वे न सिर्फ उन्हीं की तरह बोलना-पहनना शुरू कर देते हैं, बल्कि उनके कहे को आदेश मान लेते हैं। भारत माता की जय बोलने को लेकर भी यही हो रहा है। इसके जरिए हिंदुत्व में विश्वास करने वाले छोटे स्तर के कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यकों की देशभक्ति परखनी शुरू कर दी है। हालांकि जब इस प्रकरण पर प्रतिरोध के स्वर उभरने शुरू हुए तो मोहन भागवत ने अपने बयान को दुरुस्त करते हुए कहा कि यह नारा किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए। मगर अब भी भाजपा और संघ के कई नेता इसे देशभक्ति की कसौटी माने बैठे हैं। अब भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भारत माता की जय नहीं बोलने वालों को देश में रहने का कोई हक नहीं है। आदित्यनाथ भाजपा के कद्दावर नेता हैं और उत्तर प्रदेश में पार्टी के जनाधार पर उनकी खासी पकड़ है। मगर वे शायद पार्टी के अनुशासन को मानना जरूरी नहीं समझते। इस समय जब भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के अतिवादी बयानों और हरकतों के चलते केंद्र सरकार को आए दिन सवालों का सामना करना पड़ता है, उसे विकास परियोजनाओं को गति देने की चिंता सता रही है, उसके कुछ नेताओं को जैसे इसकी कोई परवाह नहीं। यह नहीं भूलना चाहिए कि विकास के वादे के साथ नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसे भुला कर अगर भावनाएं भड़काने और समाज में भेद पैदा करने की कोशिशें होंगी तो उसका सकारात्मक नतीजा शायद ही निकले।
Vaidambh Media