विश्व बाजार: खाड़ी देशों को छतरी-बकरी बेचने में भारत सबसे आगे
|पूरी दुनिया पर तनी हैं भारत की ही छतरी !
किसी भी बड़ें मामले में यदि भेड़ बकरी का जिक्र आ जाये तो उसे बहुत कमजोर माना जाता रहा है पर आज; भेड़ बकरियों ने भारत की विश्व स्तर पर उत्पाद निर्यात में नाक बचा रखी है, या यों कहें कि अंतराष्टृीय बाजार में इन्ही कमजोर समझे जाने वालों ने वैश्विक बाजारु ब्यवस्था में में भारत का मान बचाये रखा है। भाजपा केन्द्र सरकार के 17वें महीने में देश से होने वाले निर्यात में बेशक कमी आई है, लेकिन भेड़, बकरी और छतरी इसे मुंह चिढ़ाती दिख रही हैं। पिछले वित्त वर्ष में इनके निर्यात में शानदार इजाफा हुआ है। आंकड़े बता रहे हैं कि पूरी दुनिया पर भारत की ही छतरी तनी हैं। वाणिज्य विभाग के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में छतरियों का निर्यात पूरे 900 फीसदी बढ़ा है। इसी दौरान मवेशियों के निर्यात में 400 फीसदी का इजाफा हुआ है।
खाड़ी देशों में भारतीय भेड़ों की माॅग अधिक
विश्व बाजार में भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, बैल और मुर्गी समेत जीवित प्राणियों का निर्यात 2015-16 में करीब 6.8 करोड़ डॉलर (डॉलर के वर्तमान मूल्य के अनुसार 450 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया, जो उससे पिछले वित्त वर्ष में बमुश्किल 80 करोड़ रुपये था। इस कारोबार से जुड़े लोगों को यकीन है कि वृद्घि का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी भेड़ के निर्यात में हुई है। 2014-15 में बमुश्किल 10,000 डॉलर की भेड़ विदेश भेजी गई थीं, लेकिन पिछले वित्त वर्ष में 2.5 करोड़ डॉलर की भेड़ निर्यात कर दी गईं यानी आंकड़ा 2,500 गुना हो गया। मेरठ की इंडिया फ्रोजन फूड्स के निदेशक मोहम्मद रिजवान बताते हैं कि भेड़ों का सबसे ज्यादा निर्यात खाड़ी देशों को किया जा रहा है। उनमें भी संयुक्त अरब अमीरात सबसे ऊपर है। उन्हें भारतीय भेड़ काफी सस्ती पड़ती हैं। खाड़ी देशों में हिंदुस्तानी बकरियों की भी बहुत मांग है। भारत से जाने वाले जीवित जानवरों में हमेशा ही उनकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी रही है। 2014-15 में 1.1 करोड़ डॉलर की बकरियों का निर्यात हुआ था, लेकिन 2015-16 में आंकड़ा 281 फीसदी बढ़कर 4.2 करोड़ डॉलर (लगभग 275 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया। इनमें से आधी बकरियां तो अमीरात ही भेजी गईं। महाराष्ट्र के लिए एक कारोबारी को लगता है कि भेड़ के बजाय बकरियों के गोश्त को ज्यादा सेहतमंद माने जाने की वजह से ही ऐसा हुआ है। इसके अलावा वहां गोश्त की दुकानें चलाने वाले हिंदुस्तानियों की वजह से भी यहां की बकरियां लोकप्रिय हो गई हैं।
नेपाल में भारतीय छतरी ढीली पर बकरी हाबी
हिंदुस्तानी बकरियों का दूसरा बड़ा ठिकाना नेपाल रहा। वाणिज्य मंत्रालय के एक सूत्र ने वी. मिडीया को बताया, ‘खाड़ी देशों को बकरियों का निर्यात आम तौर पर रमजान के महीने से ऐन पहले बढ़ता है। लेकिन पिछले पूरे साल निर्यात होता रहा।’ इसी तरह छाते का निर्यात तो बढ़कर 10 गुना हो गया। पिछले वित्त वर्ष में पूरे 2.3 करोड़ डॉलर (150 करोड़ रुपये से भी अधिक) के छातों का निर्यात हुआ था। उससे पिछले साल आंकड़ा केवल 23 लाख डॉलर (15 करोड़ रुपये) था। उद्योग के लोग बताते हैं कि खाड़ी देशों में भारत के छाते सबसे ज्यादा निर्यात हो रहे हैं। लेकिन 5,000 करोड़ रुपये का देसी बाजार सस्ते चीनी छातों से पटा पड़ा है, जहां बच्चों के छाते और फोल्डिंग छाते सबसे ज्यादा आते हैं।
Vaidambh Media